जो खानदानी रईस हैं वो / गज़ल / शबीना अदीब
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें, दिलों में उल्फ़त नई-नई है,
अभी तक़ल्लुफ़ है गुफ़्तगू में, अभी मोहब्बत नई-नई है।
अभी न आएँगी नींद तुमको,
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Teaching Exam Mantra द्वारा "विपरीत" हिंदी साहित्य और उसकी तैयारी को समर्पित ब्लॉग है। चाहे आप परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र हों, साहित्य प्रेमी हों, या केवल अपने ज्ञान का विस्तार करने के इच्छुक हों, हमारे पास सभी के लिए कुछ न कुछ है।
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें, दिलों में उल्फ़त नई-नई है,
अभी तक़ल्लुफ़ है गुफ़्तगू में, अभी मोहब्बत नई-नई है।
अभी न आएँगी नींद तुमको,
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