यूजीसी नेट हिंदी की तैयारी कैसे करें?
हिन्दी साहित्य की तैयारी के लिए पुस्तकें:
वैसे तो बाजार में आपको हर विषय के लिए ढेरों किताबें मिल जाएंगी। लेकिन हिंदी साहित्य के समग्र अध्ययन के लिए और वर्तमान शिक्षा प्रणाली को ध्यान में रखते हुए मैं इन किताबों का सुझाव
दूंगा।1. विश्वनाथ त्रिपाठी का हिंदी साहित्य का सरल इतिहास :
अगर आप हिंदी साहित्य के अध्ययन में एकदम नए हैं तो शुरुआत करने के लिए यह किताब सबसे अच्छी है। इसमें हिंदी साहित्य के इतिहास को सरल और संक्षिप्त रूप में बताया गया है मात्र 180 पन्नों की यह किताब आसानी से आपको उपलब्ध हो सकती है।
विश्वनाथ त्रिपाठी का हिंदी साहित्य का सरल इतिहास पुस्तक की pdf यहां से डाउनलोड करें
2. हिंदी साहित्य का इतिहास ➖ डॉ नगेंद्र
यह किताब उनके लिए है जो या तो विश्वनाथ त्रिपाठी का हिंदी साहित्य का इतिहास पढ़ चुके हैं या जिन्होंने अपनी M.A. हिंदी की पुस्तकों का अध्ययन अच्छे से किया है। 870 पन्नों की इस किताब में आपको हिंदी साहित्य के इतिहास का विस्तृत विवरण स्टीक रुप से मिल जाएगा।
डॉ नगेंद्र और डॉक्टर हरदयाल द्वारा संपादित इस पुस्तक में आपको हिंदी के आदिकाल से लेकर वर्तमान काल तक सभी सामग्री मिल जाएगी। वर्तमान काल में 1950 के बाद से लेकर 2005 तक के हिंदी साहित्य के इतिहास का इसमें अद्वितीय संकलन किया गया है। डॉ नगेंद्र ने इसमें केवल अपने विचार ही नहीं रखें बल्कि अन्य आलोचकों के मतों का भी संकलन किया है।
इस पुस्तक को पढ़ने के बाद आप निश्चित ही हिंदी साहित्य के बारे में और अधिक जान पाएंगे।
3. सरस्वती पांडे , गोविंद पांडे द्वारा संपादित हिंदी साहित्य का वस्तुनिष्ठ इतिहास :
हिंदी नेट की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों के बीच प्रसिद्ध पुस्तक में हिंदी साहित्य के इतिहास का वस्तुनिष्ठ संकलन किया गया है।
तथ्यों के संकलन का प्रयास अच्छा है किंतु इस पुस्तक में त्रुटियां बहुत अधिक हैं।
इसलिए हम इस पुस्तक को शुरुआती दौर में पढ़ने का सुझाव बिल्कुल नहीं देते हैं। जब आप हिंदी साहित्य के इतिहास के विषय में एक समझ विकसित कर चुके हो तो दोहराई के लिए आप इस पुस्तक का अध्ययन कर सकते हैं।
4. रामचंद्र शुक्ल द्वारा संपादित हिंदी साहित्य का इतिहास:
ना तो हिंदी साहित्य और ना ही हिंदी साहित्य का इतिहास रामचंद्र शुक्ल के बिना पूरा हो सकता है। अतः रामचंद्र शुक्ल द्वारा संपादित हिंदी साहित्य का इतिहास को पढ़ना भी आपके लिए अति आवश्यक है।
परंतु रामचंद्र शुक्ल की भाषा इतनी सरल नहीं है इसलिए आप शुरुआत में इस पुस्तक को पढ़ने की कोशिश ना करें।
परंतु हिंदी साहित्य के इतिहास के संबंध में अपनी समझ को एक अलग स्तर पर लाने के लिए इस पुस्तक का अध्ययन आवश्यक है।
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